Palatal Gland or a tonsil on one side

तालुमूल ग्रंथि (टॉन्सिल) या एक तरफ की एक टॉन्सिल, पीछे दूसरी तरफ की टॉन्सिल फूलती है। इसका आकार सुपारी के आकार का हो सकता है। उपजिह्वा भी फूलकर लाल रंग की हो जाती है। टॉन्सिल का दर्द कान तक फैल सकता है एवं 103-104 डिग्री सेल्सियस तक बुखार चढ़ सकता है।जबड़े में दर्द होता है। गले की गाँठ फूलती है, मुँह फाड़ नहीं सकता है। पहली अवस्था में अगर इलाज से रोग न घटे तो धीरे-धीरे टॉन्सिल पक जाता है और फट भी सकता है।
जिन व्यक्तियों को बार-बार टॉन्सिल की बीमारी हुआ करती है तो वह क्रोनिक हो जाती है। इस अवस्था में श्वास लेने और छोड़ने में भी कठिनाई होती है तथा टॉन्सिल का आकार सदा के लिए सामान्य से बड़ा दिखता है।
होम्योपैथिक दवाओं के टॉन्सिलाइटिस में प्रयोग से सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कभी-कभी सर्जरी के बाद भी गले में खिंचाव का दर्द लिए रोगी मिलते हैं । अत: वैसे रोगी जो सर्जरी से बचना चाहते हैं या कम उम्र के बच्चे , डायबिटीज अथवा हृदय रोग से पी‍ड़ित रोगी जिन्हें टॉन्सिल्स हैं, होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग कर स्वस्थ हो सकते हैं।

Dr. Hemant Srivastava

Pramila Homoeo Clinic & Research Center

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